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📿कबीरदास जयंती – Kabirdas Jayanti

कबीरदास जयंती – Kabirdas Jayanti

Kabirdas Jayanti Date: Saturday, 22 June 2024

कबीरदास जयंती - Kabirdas Jayanti

हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जाती है। संत कबीरदास के जन्म के विषय में कुछ भी सटीकता से नहीं कहा जाता है। कुछ साक्ष्यों के अनुसार, कबीर दास जी का जन्म काशी में 1398ईं में हुआ था। संत कबीर दास हिंदी साहित्य के ऐसे कवि थे, जिन्होंने ने आजीवन समाज में फैली बुराइयों और अंधविश्वास की निंदा करते रहे। कबीरदास जी न सिर्फ एक संत थे बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से जीवन जीने की कई सीख दी हैं। इनके दोहे अत्यंत सरल भाषा में थे, जिसके कारण उन दोहों को कोई भी आसानी से समझ सकता है। कबीरदास जयंती

कबीर जयंती का महत्व
कबीर दास जी के जन्म के विषय में कई मतभेद मिलते हैं। कुछ तथ्यों के आधार पर माना जाता है कि इनका जन्म रामानंद गुरु के आशीर्वाद से एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था और लोक-लाज के भय से उसने कबीरदास को काशी के समक्ष लहरतारा नामक तालाब के पास छोड़ दिया था, जिसके बाद उस राह से गुजर रहे लेई और लोइमा नामक जुलाहे ने इनका पालन-पोषण किया। वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि कबीरदास जन्म से ही मुस्लिम थे और इन्हें गुरु रामानंद से राम नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ था। कबीरदास जयंती

कबीरदास जी ने अपने दोहों से लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया और धर्म के कट्टरपंथ पर तीखा प्रहार किया था। इन्होंने समाज को सुधारने के लिए कई दोहे कहे। इसी वजह से ये समाज सुधारक कहलाए। कबीरदास जयंती

कहा जाता है कि कबीर जी को मानने वाले लोग हर धर्म से थे, इसलिए जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों में विवाद होने लगा। कहा जाता है कि इसी विवाद के बीच जब शव से चादर हटाई गई तो वहां पर केवल फूल थे। इन फूलों को लोगों ने आपस में बांट लिया और अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया।

कैसे मनाई जाती है कबीरदास जयंती?
कबीर जयंती, जिसे कबीर प्रकट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन, उनके अनुयायी उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और उनकी कविताओं को एक साथ पढ़ते हैं। कई कबीरपंथियों द्वारा पूरे भारत में कई भंडारे भी आयोजित किए जाते हैं। कबीर एक समाज सुधारक भी थे, इसलिए उनके अनुयायी इस दिन बहुत से सामाजिक कार्य भी करते हैं।

संबंधित अन्य नामKabirdas, Kabirdas Jayanti, Kabir Prakat Diwas
शुरुआत तिथिज्येष्ठ माह की पूर्णिमा
कारणKabirdas
उत्सव विधिउनकी कविताओं का पाठ, भंडारा
📿कबीरदास जयंती – Kabirdas Jayanti

प्रसिद्ध कबीर दोहे

1. गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥

2. दुख: में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ॥

3. कबीर गर्व न कीजिय, ऊंचा देखि आवास।
काल परों भूईं लेटना, ऊपर जमसी घास ॥

4. ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ॥

5. काल करे सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरी करेगा कब ॥

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