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💧गंगा सप्तमी – Ganga Saptami

गंगा सप्तमी – Ganga Saptami

Ganga Saptami Date: Tuesday, 14 May 2024

गंगा सप्तमी - Ganga Saptami
💧गंगा सप्तमी – Ganga Saptami

गंगासप्तमी, गंगा मैया की पूजा करने का एक बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन है, जिसे हम सभी गंगा जयंती भी कहते हैं। हिंदू धर्म में मां गंगा का काफी धार्मिक महत्व है। धार्मिक कथाओं के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।

गंगासप्तमी का महत्व
गंगासप्तमी मां गंगा की पूजा और स्तुति करने के लिए एक पवित्र और सर्वोत्तम दिन है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का भी बड़ा धार्मिक महत्व है। माता गंगा में इस संसार के सभी प्राणियों के पाप नाश करती हैं।

संबंधित अन्य नामगंगा जयंती, जाह्नु सप्तमी
शुरुआत तिथिवैशाख शुक्ल सप्तमी
गंगा सप्तमी – Ganga Saptami

Ganga Saptami in English

Ganga Saptami is a very auspicious and important day to worship Ganga Maiya, which we all also call Ganga Jayanti.

गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त

सप्तमी तिथि: 26 अप्रैल 2023 को 11:27 AM – 27 अप्रैल 2023 को 1:38 PM

गंगा सप्तमी मध्याह्न मूहूर्त – 11:00 AM – 1:38 PM

गंगा सप्तमी कब मनाई जाती है?

गंगा सप्तमी या गंगा जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष गंगा सप्तमी गुरुवार, 27 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी।

गंगा सप्तमी के पीछे की कहानी

गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा इस धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा का प्रवाह इतना तेज था कि गंगा के पाताल में समा जाने या इस धरती पर असंतुलित होने का खतरा था। इस कारण महादेव शिव ने गंगा को अपने बालों में समाहित कर लिया।

कुछ समय बाद, महादेव शिव ने गंगा को अपने बालों से मुक्त कर दिया, ताकि गंगा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष दे सके। गंगा भगीरथ के बताए मार्ग पर चलने लगी। रास्ते में गंगा के प्रचंड वेग से जाह्नु ऋषि का आश्रम नष्ट हो गया। इससे ऋषि जाह्नु क्रोधित हो गए। उन्होंने पूरा गंगा जल पी लिया।

इस घटना के बाद, भगीरथ और अन्य देवताओं ने गंगा को मुक्त करने के लिए ऋषि जाह्नु से प्रार्थना की ताकि गंगा इस दुनिया के लोगों का कल्याण कर सके। इस पर जाह्नु ऋषि ने अपने कान से बहकर गंगा को मुक्त किया और गंगा अपने पथ पर चलती रही।

धार्मिक कथाओं के अनुसार ऋषि जाह्नु ने वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा को मुक्त किया था। इस कारण इस दिन को गंगा का पुनर्जन्म भी कहा जाता है और इसे गंगा जयंती और जाह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस घटना के कारण गंगा का एक नाम ऋषि जाह्नु की पुत्री जाह्नवी भी है।

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