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🗡️धूमावती जयंती – Dhumavati Jayanti

धूमावती जयंती – Dhumavati Jayanti

Dhumavati Jayanti Date: Friday, 14 June 2024

धूमावती जयंती - Dhumavati Jayanti

माँ पार्वती का अत्यंत उग्र रूप माता धूमावती का अवतरण दिवस को धूमावती जयंती के रूप मे जाना जाता है। माँ धूमावती विधवा स्वरूप जिनका वाहन कौवा है तथा श्वेत वस्त्र धारण कर खुले केश रूप में हैं। माता धूमावती दस महाविद्याओं में एक हैं माता की पूजा विशेष रूप से गुप्त नवरात्रि में भी की जाती है। धूमावती जयंती

विधवा, भिक्षाटन, दरिद्रता, भूकंप, सूखा, बाढ़, प्यास रुदन, वैधव्य, पुत्रसंताप, कलह इनकी साक्षात प्रतिमाएं हैं। डरावनी शक्ल, रुक्षता, अपंग शरीर जिनके दंड का फल है इन सब की मूल प्रकृति में पराम्बा धूमावती ही हैं।धूमावती जयंती

श्राप द्वारा क्षति पहुँचाना तथा संहारन करने की सभी क्षमताएं माता सती के धूमावती स्वरूप के कारण ही घटित होती हैं। क्रोधमय ऋषियों जैसे अंगीरा, दुर्वासा, परशुराम, भृगु आदि की मूल शक्ति धूमावती माता द्वारा ही प्रदान की गई हैं।

दतिया की पीताम्बरा पीठ में माँ बगलामुखी के साथ-साथ माता धूमावती का भी मंदिर स्थापित है, जहाँ विवाहित महिलाओं का जाना वर्जित है।

धूमावती जयंती पर रुद्राक्ष माला से 108 बार, 21 या 51 माला द्वारा इन मंत्रों का जाप करें।धूमावती जयंती
◉ ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट् ॥
◉ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

शुरुआत तिथिज्येष्ठ शुक्ला अष्टमी
कारणमाता धूमावती का प्राकट्य दिवस।
उत्सव विधिव्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन।
धूमावती जयंती – Dhumavati Jayanti

Dhumavati Jayanti in English

The very fierce form of Mata Parvati, the incarnation day of Mata Dhumavati is known as Dhumavati Jayanti.

धूमावती माता की कथा

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी, उस समय कैलाश पर्वत पर खाने को कुछ नहीं था। उन्होंने भोजन की मांग भगवान शिव से की, लेकिन भोलेनाथ समाधि में लीन थे। बार-बार खाने की मांग करने पर भी नीलकंठ महादेव ने कोई जवाब नहीं दिया। भूख की तीव्रता से बैचेन होकर माता पार्वती ने भगवान शिव को ही निगल लिया।

भगवान शिव के गले में विष होने की वजह से पार्वती जी के शरीर से धुआं निकलने लगा। जहर के प्रभाव से वह भयंकर एवं कुरूप दिखने लगी उसके बाद भगवान शिव ने उनसे कहा कि तुम्हारे इस रूप को धूमावती के नाम से जाना जायेगा।

अपने पति भगवान शिव को ही निगल जाने के कारण भगवान शिव के अभिशाप की वजह से उन्हें एक विधवा के रूप में पूजा जाता है। माता पार्वती इस रूप में बहुत ही क्रूर दिखती हैं जो कि एक हाथ में तलवार धारण किये हुए रहती हैं।

माता का यह स्वरूप देख कर भगवान शिव कहते हैं देवी, अब से आपके इस रूप की भी पूजा होगी। तब से माता विधवा स्वरूप, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए खुले केश रूप में पूजी जाती हैं तथा माता का वाहन कौवा है।

संबंधित जानकारियाँ

आवृत्ति

वार्षिक

समय

1 दिन

शुरुआत तिथि

ज्येष्ठ शुक्ला अष्टमी

समाप्ति तिथि

ज्येष्ठ शुक्ला अष्टमी

महीना

मई / जून

कारण

माता धूमावती का प्राकट्य दिवस।

उत्सव विधि

व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन।

महत्वपूर्ण जगह

माँ आदि शक्ति मंदिर , घर।

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