Devkinandan Thakur Called Upon Hindus To March To Delhi And Demand Of Forming Sanatan Board
Devkinandan Thakur: सोमवार को राजधानी लखनऊ में धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं से बड़ी संख्या में दिल्ली चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर मौलवियों को 15,000 रुपये दिया जा रहा है, तो मंदिर के हर पुजारी को 15,000 रुपये देने की घोषणा करनी चाहिए।
Devkinandan Thakur: भारत में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रहती हैं, जिनमें विशेषकर हिन्दू धर्म से जुड़े विषय प्रमुख रहते हैं। हाल ही में एक नया मुद्दा उठाया है प्रसिद्ध संत और वक्ता श्री देवकीनंदन ठाकुर ने, जिन्होंने हिन्दू समाज को एकजुट करने और धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली चलने का आह्वान किया है। साथ ही, उन्होंने पुजारियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण मांगें भी उठाई हैं, जो भारतीय समाज में चर्चा का विषय बन गई हैं।
देवकीनंदन ठाकुर का आह्वान
Devkinandan Thakur: श्री देवकीनंदन ठाकुर, जो अपने धार्मिक प्रवचनों और समाज सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं, ने देशभर के हिन्दू समाज से अपील की है कि वे दिल्ली में एकजुट होकर अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करें। उनका मानना है कि हिन्दू समाज के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है और समय आ गया है जब हिन्दू समाज को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए।
Devkinandan Thakur: ठाकुर ने कहा, “हमारे धार्मिक अधिकारों को दबाया जा रहा है, और हमें इसका विरोध करना चाहिए। हिन्दू समाज को एकजुट होना पड़ेगा और दिल्ली में एक साथ आकर अपने अधिकारों की मांग करनी होगी।” उनके इस आह्वान के बाद, देशभर से हिन्दू संगठन और धार्मिक नेता समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।
यह आह्वान एक समय पर हुआ है जब देश में कई राज्यों में हिन्दू धार्मिक स्थल और उनके पुजारियों से जुड़े मुद्दों पर विवाद उठे हैं। देवकीनंदन ठाकुर का मानना है कि हिन्दू समाज को एकजुट होकर इन समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।
पुजारियों के लिए उठाई गई मांग
Devkinandan Thakur: देवकीनंदन ठाकुर ने केवल हिन्दू समाज से दिल्ली चलने का आह्वान नहीं किया, बल्कि उन्होंने पुजारियों की स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, पुजारियों को उचित सम्मान, सुरक्षा, और आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे अपने धार्मिक कर्तव्यों को सही तरीके से निभा सकें। ठाकुर ने कहा, “पुजारियों के साथ जो भेदभाव और उपेक्षा हो रही है, उसे समाप्त किया जाना चाहिए। वे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं और उन्हें उचित वेतन और सम्मान मिलना चाहिए।”
उनकी यह मांग हिन्दू धर्म के धार्मिक नेताओं और पुजारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। ठाकुर का कहना है कि पुजारी न केवल धार्मिक कार्य करते हैं, बल्कि समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को भी दिशा देते हैं। यदि पुजारियों को सम्मान और सहायता नहीं मिलेगी, तो यह हिन्दू धर्म के लिए ही खतरे की घंटी हो सकती है।
धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का मुद्दा
Devkinandan Thakur: देवकीनंदन ठाकुर का आह्वान धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। उनका मानना है कि हिन्दू समाज को अपने धार्मिक अधिकारों का पूरी तरह से पालन करने का अधिकार है, और इसके लिए हमें राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर अपनी आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है, और इस पर तत्काल ध्यान देना आवश्यक है।
श्री ठाकुर ने उदाहरण के रूप में बताया कि कैसे हिन्दू धार्मिक स्थल और मठों में शासन द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप हो रहा है। उनका कहना है कि यह हिन्दू धर्म की स्वतंत्रता और उसके आचार्य-पुजारियों की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, जिसे कतई सहन नहीं किया जा सकता।
दिल्ली चलो आंदोलन: क्या है इसका उद्देश्य?
Devkinandan Thakur: देवकीनंदन ठाकुर ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का आह्वान किया है, जिसमें हिन्दू समाज को एकजुट होकर दिल्ली में एकत्रित होने की अपील की गई है। यह आंदोलन एक राजनीतिक और धार्मिक मुहिम की तरह देखा जा रहा है, जिसमें हिन्दू समाज के विभिन्न संगठन और समुदाय एकत्र होंगे और अपनी मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन के सामने खड़े होंगे।
ठाकुर के अनुसार, यह आंदोलन केवल एक स्थानिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हिन्दू समाज की एकता और शक्ति को प्रदर्शित करने का एक अवसर है। उनका मानना है कि यदि हिन्दू समाज एकजुट होकर अपनी आवाज उठाता है, तो न केवल धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जा सकती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की भी रक्षा की जा सकती है।
पुजारियों के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता
देवकीनंदन ठाकुर ने विशेष रूप से पुजारियों के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता को भी स्पष्ट किया। उनका कहना है कि पुजारियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए। बहुत से पुजारी आज भी अपनी दिनचर्या के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल पाता।
उनका मानना है कि पुजारियों के परिवारों को भी सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। इसके साथ ही, धार्मिक स्थलों पर काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिए भी समान अवसर और उचित वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए।
हिन्दू समाज की एकता और शक्ति
Devkinandan Thakur: देवकीनंदन ठाकुर का आह्वान हिन्दू समाज की एकता और शक्ति को बढ़ाने के लिए है। उनका मानना है कि हिन्दू समाज को एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, चाहे वह धार्मिक स्वतंत्रता हो या पुजारियों के हक में बात हो। अगर हिन्दू समाज अपने मुद्दों को उठाएगा और सही तरीके से आवाज़ उठाएगा, तो समाज में बदलाव संभव है।
श्री ठाकुर ने इस आंदोलन को एक धार्मिक और सामाजिक जागरूकता का हिस्सा माना है, जो हिन्दू धर्म के प्रति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनका कहना है कि अगर हिन्दू समाज संगठित होता है, तो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव भी संभव हो सकता है।
100 करोड़ लोगों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए
Devkinandan Thakur: उन्होंने कहा कि सनातनी आज मंदिर के प्रसाद में मिलावट होते हुए देख रहे हैं। कृष्ण जन्मभूमि के लिए न्यायिक प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज हम लोग अपने भगवान का अपमान सह रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हम संविधान पर विश्वास करते हैं। अगर हमारा विश्वास संविधान पर है, तो संविधान की भी यह जिम्मेदारी है कि वो हमारे साथ न्याय करे। 100 करोड़ लोगों के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए।
मौलाना तौकीर रजा पर दिया बयान
Devkinandan Thakur: देवकीनंदन ने कहा कि मीडिया के जरिए तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशु चर्बी मिलावट की खबर मिली, यह कितनी बड़ी बात है? कितने मंदिरों में वो लोग काम करते हैं, जो हिंदू आस्था पर विश्वास नहीं करते। मौलाना तौकीर रजा द्वारा दिल्ली घेरने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए देवकीनंदन ने कहा कि मेरे मन में यही डर है, उन लोगों की योजना है, आज नहीं तो कल वो दिल्ली को घेरेंगे। अब हम लोगों को सोचना है कि दिल्ली को जाने देना है या बचाना है।
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