ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Jyeshtha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

Share Plesae

Ganesh Chaturthi Vrat Katha

सतयुग में सौ यज्ञ करने वाले एक पृथु नामक राजा हुए। उनके राज्यान्तर्गत दयादेव नामक एक ब्राह्मण रहते थे। वेदों में निष्णात उनके चार पुत्र थे। पिता ने अपने पुत्रों का विवाह गृहसूत्र के वैदिक विधान से कर दिया।

उन चार बहूओं में बड़ी बहू अपनी सास से कहने लगी – हे सासुजी! मैं बचपन से ही संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत करती आई हूँ। मैंने पितृगृह में भी इस शुभदायक व्रत को किया हैं।

अतः हे कल्याणी! आप मुझे यहाँ व्रतानुष्ठान करने की अनुमति प्रदान करें। ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी

पुत्रवधू की बात सुनकर उसके ससुर ने कहा – हे बहू! तुम सभी बहूओं में श्रेष्ठ और बड़ी हो। तुम्हें किसी प्रकार का कष्ट नहीं है और न तुम भिक्षुणी हो। ऐसी स्तिथि में तुम किस लिए व्रत करना चाहती हो?

Read Also-: Google Pixel 9, Pixel 9 Pro, Pixel 9 Pro XL with Gemini AI Launched: Price in India, Full specifications and more Read Also-: West Bengal State Lottery 6PM Today Result

हे सौभाग्यवती! अभी तुम्हारा समय उपभोग करने का हैं। ये गणेश जी कौन है? फिर तुम्हें करना ही क्या हैं? ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी

कुछ समय पश्चात बड़ी बहू गर्भिणी हो गई। दस मास बाद उसने सुन्दर बालक का प्रसव किया। उसकी सास बराबर बहू को व्रत करने का निषेध करने लगी और व्रत छोड़ने के लिए बहू को बाध्य करने लगी।

व्रत भंग होने के फलस्वरूप गणेश जी कुछ दिनों में कुपित हो गये और उसके पुत्र के विवाह काल में वर-वधू के सुमंगली के समय उसके पुत्र का अपरहण कर लिया। इस अनहोनी घटना से मंडप में खलबली मच गई।

सब लोग व्याकुल होकर कहने लगे, लड़का कहाँ गया? किसने अपरहण कर लिया। बारातियों द्वार ऐसा समाचार पाकर उसकी माता अपने ससुर दयादेव से रो-रोकर कहने लगी। हे ससुरजी! आपने मेरे गणेश चतुर्थी व्रत को छुड़वा दिया है, जिसके परिणाम स्वरुप ही मेरा पुत्र गायब हो गया हैं।

Read Also-: Google Pixel 9, Pixel 9 Pro, Pixel 9 Pro XL with Gemini AI Launched: Price in India, Full specifications and more Read Also-: West Bengal State Lottery 6PM Today Result

अपनी पुत्रवधू के मुख से ऐसी बात सुनकर ब्राह्मण दयादेव बहूत दुखी हुए। साथ ही पुत्रवधू भी दुखित हुई। पति के लिए दुखित पुत्रवधू प्रति मास संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगी। ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी

एक समय की बात है कि गणेश जी एक वेदज्ञ और दुर्बल ब्राह्मण का रूप धारण करके भिक्षाटन के लिए इस मधुरभाषिणी के घर आए। ब्राह्मण ने कहा कि हे बेटी! मुझे भिक्षा स्वरुप इतना भोजन दो कि मेरी क्षुधा शांत हो जाए।

उस ब्राह्मण की बात सुनकर उस धर्मपरायण कन्या ने उस ब्राह्मण का विधिवत पूजन किया। भक्ति पूर्वक भोजन कराने के बाद उसने ब्राह्मण को वस्त्रादि दिए। कन्या की सेवा से संतुष्ट होकर ब्राह्मण कहने लगा – हे कल्याणी!

हम तुम पर प्रसन्न हैं, तुम अपनी इच्छा के अनुकूल मुझसे वरदान प्राप्त कर लो। मैं ब्राह्मण वेशधारी गणेश हूँ और तुम्हारी प्रीति के कारण आया हूँ। ब्राह्मण की बात सुनकर कन्या हाथ जोड़कर निवेदन करने लगी – हे विघ्नेश्वर!

यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे मेरे पति के दर्शन करा दीजिये। कन्या की बात सुनकर गणेश जी ने उससे कहा कि हे सुन्दर विचार वाली, जो तुम चाहती हो वही होगा। तुम्हारा पति शीघ्र ही आवेगा। कन्या को इस प्रकार का वरदान देकर गणेश जी वहीँ अंतर्ध्यान हो गए। ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी

Read Also-: Google Pixel 9, Pixel 9 Pro, Pixel 9 Pro XL with Gemini AI Launched: Price in India, Full specifications and more Read Also-: West Bengal State Lottery 6PM Today Result

कुछ समय के बाद उसका पति घर वापस आ गया। सभी बहुत प्रसन्न हुए, विधि अनुसार विवाह कार्य सम्पन्न किया। इस प्रकार ज्येष्ठ मास की चौथ सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है।

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयरलाइक या कॉमेंट जरूर करें! ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी

Ganesh Chaturthi Vrat Katha
ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Jyeshtha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha) 1

* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha, Ganesh Chaturthi Vrat Katha ,


Share Plesae

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *