Nag Panchami 2024 Horoscope
Nag Panchami 2024 Horoscope: नाग पंचमी का दिन कई राशियों के लिए बहुत ही लाभकारी रहने वाला है। इस दिन बनने वाले कई दुर्लभ संयोग इन लोगों की किस्मत में चार चांद लगाएंगे। आप भी जानें नाग पंचमी की लकी राशियों के बारे में-
Nag Panchami 2024 Rashifal: नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त 2024, शुक्रवार को है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नाग पंचमी के दिन लक्ष्मी नारायण योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन सिद्ध व साध्य योग का भी अद्भुत संयोग बन रहा है।
नाग पंचमी के दिन बनने वाले ये संयोग इस दिन का महत्व बढ़ा रहे हैं। ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति नाग पंचमी के दिन कुछ राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी रहने वाली है। जानें नाग पंचमी के दिन किन राशियों पर होगी भगवान शिव की
कृपा-
सिंह राशि- सिंह राशि वालों के लिए नाग पंचमी का दिन सौभाग्य लेकर आया है। इस दिन आपको ऑफिस में मेहनत का पॉजिटिव रिजल्ट मिलेगा। सीनियर्स आपके काम से खुश होंगे और आपकी तारीफ करेंगे। यह दिन आपके लिए आर्थिक संपन्नता लाएगा।
नागपंचमी पर बने रहे साध्य व सिद्ध योग अत्यंत शुभ फलदायी, जानें इनका ज्योतिषीय महत्व
कन्या राशि – कन्या राशि वालों के लिए नाग पंचमी का दिन बहुत अच्छा रहने वाला है। इस दिन आपको नई नौकरी के अच्छे प्रपोजल मिल सकते हैं। प्रमोशन का इंतजार कर रहे लोगों को गुड न्यूज लेख मिलने की संभावना है।
मीन राशि- मीन राशि वालों के लिए नाग पंचमी के दिन बनने वाले संयोग पॉजिटिव परिणाम लाएंगे। भाग्य का साथ मिलने से कई महत्वपूर्ण काम बनेंगे। आर्थिक लाभ होगा। व्यापारियों के ऐप पर पढ़ें दिन बहुत अच्छा बीतेगा।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि वालों के लिए लक्ष्मी नारायण योग कार्यों में सफलता दिलाएगा। मां लक्ष्मी की कृपा होने से आपको धन लाभ भी होगा। करियर में नए ऑप्शन मिलेंगे। किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में आप सफलता हासिल कर सकते हैं।
नागपंचमी के दिन अपने प्रियजनों को भेजें ये 10 चुनिंदा मैसेज
कुंभ राशि – कुंभ राशि वालों के लिए नाग पंचमी का दिन बहुत शुभ रहने वाला है। कार्यों में सफलता हासिल होगी। अगर लंबे समय से आपका कोई काम अटका है तो वह पूरा हो सकता है। आर्थिक मोर्चे पर अच्छे रिजल्ट हासिल होंगे, जिससे मन प्रसन्न रहेगा।
Nagchandreshwar Temple: दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं भगवान शिव, साल में एक बार खुलने वाले मंदिर की कहानी
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का महत्व सदियों पुराना है। कई लोग नागों को भगवान का आभूषण मानने हैं, देश में नागों के कई मशहूर मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक है उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे वर्ष में केवल एक दिन, नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है।
माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में विराजमान हैं। इसी कारण, मंदिर को केवल नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है और नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्राचीन प्रतिमा है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इस प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती है।
भगवान शंकर को प्रसन्न करने की घोर तपस्या
वरिष्ठ ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास बताते हैं कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह भगवान शंकर सांपों के शय्या पर विराजमान हैं। इस अद्वितीय प्रतिमा को लेकर कहा जाता है कि ऐसी प्रतिमा और कहीं नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,
सर्पराज तक्षक ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अमरत्व का वरदान मिला। उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन, उनके एकांतवास में विघ्न न हो इसलिए, उनके मंदिर को साल में एक बार खोले जाने की मान्यता है।
1050 ईस्वी में किया गया मंदिर का निर्माण
इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद, सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, जिसमें इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार शामिल था।
दर्शन के समाप्त हो जाता है कालसर्प दोष
मान्यता है कि अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष हो और वह इस मंदिर के दर्शन करता है तो केवल दर्शन मात्र से उसके दोष समाप्त हो जाते हैं। इसलिए, नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
संन्यासी करते हैं मंदिर में पूजा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है। अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज के अनुसार इस मंदिर की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह की प्रतिमा और कहीं नहीं हैं। महाकाल मंदिर के शिखर में विराजित दुर्लभ प्रतिमा के साथ इसी तल पर पिंडी स्वरूप शिवलिंग भी है, जिसे सिद्धेश्वर कहा जाता है। मंदिर में नागपंचमी के दिन दोनों ही स्वरूप में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
नाग पंचमी कब है
Nag Panchami Date: Friday, 9 August 2024 |
नाग पंचमी त्यौहार के दिन नागदेव की पूजा तथा दूध से स्नान कराया जाता है। नागदेव को अपने क्षेत्र के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है, कुछ जगहों पर इन्हें क्षेत्रपाल भी कहा गया है।
जन्मकुन्डली में सर्प दोष के निवारण हेतु यह श्रेष्ठ दिन है। नाग पंचमी के दिन नागदेव के दर्शन अवश्य करना चाहिए। नागदेव की निवास स्थली, बांबी की पूजा की जाती है। चूँकि नागदेव को सुगंध प्रिय है, अतः नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से पूजा की जाती है। ज्योतिष् के अनुसार काल सर्प दोष के 12 मुख्य प्रकार बताए गये हैं, जो इस प्रकार हैं १) अनंत २) कुलिक ३) वासुकि ४) शंखपाल ५) पद्म ६) महापद्म ७) तक्षक ८) कर्कोटक ९) शंखनाद १०) घातक ११) विषाक्त और १२) शेषनाग।
नाग पंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी/काशी में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेले का आयोजन होता है। आम तौर पर यह त्यौहार हरियाली तीज के दो दिन बाद मनाया जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती/दंगल का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं।
वैसे तो श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती हैं, किन्तु भारत के कुछ स्थानों पर नाग पंचमी भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी मनाई जाती है।
नाग पंचमी के पीछे की कहानी
भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को हराया और यह महसूस करने के बाद कि कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं थे, नाग और उनकी पत्नियों ने उनके जीवन की भीख मांगी। कृष्ण ने उसके प्राण तब बख्श दिए जब उसने उससे वादा किया कि वह अब गोकुल के निवासियों को परेशान नहीं करेगा। कालिया नाग पर कृष्ण की विजय के उपलक्ष्य में नाग पंचमी मनाई जाती है।
इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि नाग देवता को प्रसन्न करने से भगवान शिव भी आपसे प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
नाग पंचमी की पूजा विधि
◉ नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा करें और पूजा का संकल्प लें।
◉ पूजा स्थल पर नाग देवता का चित्र लगाएं या मिट्टी से नाग देवता बनाएं और उसे एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
◉ नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल, कच्चा दूध और फूल चढ़ाकर पूजा करें। इसके बाद कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें।
◉ नाग पंचमी के दिन नाग देवता की मूर्ति पर तांबे के लोटे से दूध और जल चढ़ाएं। यदि संभव हो तो मंदिर में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा रखें और उसकी पूजा करें। इससे नाग देवता और भगवान शिव दोनों प्रसन्न होते हैं।
नाग पंचमी पूजा का महत्व
कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन के कष्टों का नाश होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अगर इस दिन किसी व्यक्ति को सांप दिख जाए तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है।
संबंधित अन्य नाम | नागुल चविथि, नाग चतुर्थी, नग पाँचय |
शुरुआत तिथि | श्रावण शुक्ल पञ्चमी |
कारण | नाग पूजन के लिए सबसे उपुक्त तिथि |
उत्सव विधि | भजन, कीर्तन, नाग पूजा |
नाग पंचमी कैसे मनाई जाती है?
नाग पंचमी पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। लोग साँपों और भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में जाते हैं, जहाँ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नाग पंचमी के लिए कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में केरल में मन्नारसाला मंदिर, प्रयागराज में नाग वासुकी मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर शामिल हैं।
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