Narasimha Jayanti Kab Hai
नृसिंह जयंती कब है
Narasimha Jayanti Date
नृसिंह चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद के रक्षण हेतु अर्ध सिंह व अर्ध मनुष्य रूप में प्रकट हुए, भगवान के इस रूप को नृसिंह कहा गया।
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी त्यौहार अर्थात नरसिंह जयंती व्रत के नियम, दिशानिर्देश एवं प्रक्रिया श्रीहरी के एकादशी व्रत के समान ही होते हैं।
नरसिंह जयंती से एक दिन पहले भक्त केवल एक ही प्रहर भोजन ग्रहण करते हैं। नरसिंह जयंती के उपवास के दौरान सभी प्रकार के अनाज निषिद्ध हैं।
इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि रात को पूजा करें एवं अगले दिन सुबह विसर्जन पूजा तथा दान-दक्षिणा करने के उपरांत ही उपवास का समापन करें।
भगवान नृसिंह की विशेष पूजा संध्या के समय की जानी चाहिए। अर्थात दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले, पुराणों के अनुसार इसी काल में भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे।
भगवान नरसिंह की पूजा में खासतौर से चंदन चढ़ाया जाता है और अभिषेक किया जाता है। नृसिंह भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है।
इसलिए इनका गुस्सा शांत करने के लिए चंदन चढ़ाया जाता है। जो कि शीतलता देता है। दूध, पंचामृत और पानी से किया गया अभिषेक भी इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए किया जाता है।
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संबंधित अन्य नाम | नृसिंह चतुर्दशी |
शुरुआत तिथि | वैशाख शुक्ला चतुर्दशी |
कारण | भगवान श्री नरसिंह की अवतार अथवा जन्मदिन। |
उत्सव विधि | व्रत, भजन / कीर्तन, दान-पुण्य |
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Narasimha Jayanti in English
On Narasimha Chaturdashi Lord Vishnu appeared as Lord Narasimha in the form of a half lion and half man, to save His Bhakt Prahlad.
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भगवान नृसिंह अवतरण की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन में मारा जा सके, न रात में, न जमींन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस वरदान के नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया। …. आइए जानें भगवान नृसिंह अवतार की पूरी कथा!
नरसिंह जयंती पूजा विधि
❀ जल्दी सुबह उठें और दैनिक गतिविधियों से निवृत्त होकर स्नान करें।
❀ व्रत का संकल्प लें
❀ भगवान नरसिंह और लक्ष्मीजी की प्रतिमा स्थापित करें।
❀ पूजा में फल, फूल, पंचमेवा, केसर, रोली, नारियल, अक्षत, पीताम्बर गंगाजल, काले तिल और हवन सामग्री का प्रयोग करें।
❀ भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करें।
❀ अपनी इच्छा अनुसार वस्त्र और प्रसाद का दान करें।
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