Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: श्रीकृष्ण भक्ति के अवतार देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा ‘‘हे महाभाग ! मैं आपका दास हूं। बतलाइए, श्री राधादेवी लक्ष्मी हैं या देवपत्नी।
महालक्ष्मी हैं या सरस्वती हैं? क्या वे अंतरंग विद्या हैं या वैष्णवी प्रकृति हैं? कहिए, वे वेदकन्या हैं, देवकन्या हैं अथवा मुनिकन्या हैं?’’श् सदाशिव बोले – ‘‘हे मुनिवर ! अन्य किसी लक्ष्मी की बात क्या कहें,
कोटि-कोटि महालक्ष्मी उनके चरण कमल की शोभा के सामने तुच्छ कही जाती हैं। हे नारद जी ! एक मुंह से मैं अधिक क्या कहूं? मैं तो श्री राधा के रूप, लावण्य और गुण आदि का वर्णन करने मे अपने को असमर्थ पाता हूं।
उनके रूप आदि की महिमा कहने में भी लज्जित हो रहा हूं। तीनों लोकों में कोई भी ऐसा समर्थ नहीं है जो उनके रूपादि का वर्णन करके पार पा सके।
उनकी रूपमाधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है। यदि अनंत मुख से चाहूं तो भी उनका वर्णन करने की मुझमें क्षमता नहीं है।’’
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: नारदजी बोले – ‘‘हे प्रभो श्री राधिकाजी के जन्म का माहात्म्य सब प्रकार से श्रेष्ठ है। हे भक्तवत्सल ! उसको मैं सुनना चाहता हूं।’’ हे महाभाग ! सब व्रतों में श्रेष्ठ व्रत श्री राधाष्टमी के विषय में मुझको सुनाइए।
श्री राधाजी का ध्यान कैसे किया जाता है? उनकी पूजा अथवा स्तुति किस प्रकार होती है? यह सब सुझसे कहिए। हे सदाशिव! उनकी चर्या, पूजा विधान तथा अर्चन विशेष सब कुछ मैं सुनना चाहता हूं। आप बतलाने की कृपा करें।’’
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: शिवजी बोले – ‘‘वृषभानुपुरी के राजा वृषभानु महान उदार थे। वे महान कुल में उत्पन्न हुए तथा सब शास्त्रों के ज्ञाता थे। अणिमा-महिमा आदि आठों प्रकार की सिद्धियों से युक्त, श्रीमान्, धनी और उदारचेत्ता थे।
वे संयमी, कुलीन, सद्विचार से युक्त तथा श्री कृष्ण के आराधक थे। उनकी भार्या श्रीमती श्रीकीर्तिदा थीं। वे रूप-यौवन से संपन्न थीं और महान राजकुल में उत्पन्न हुई थीं। महालक्ष्मी के समान भव्य रूप वाली और परम सुंदरी थीं।
वे सर्वविद्याओं और गुणों से युक्त, कृष्णस्वरूपा तथा महापतिव्रता थीं। उनके ही गर्भ में शुभदा भाद्रपद की शुक्लाष्टमी को मध्याह्न काल में श्रीवृन्दावनेश्वरी श्री राधिकाजी प्रकट हुईं।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: हे महाभाग ! अब मुझसे श्री राधाजन्म– महोत्सव में जो भजन-पूजन, अनुष्ठान आदि कर्तव्य हैं, उन्हें सुनिए।
सदा श्रीराधाजन्माष्टमी के दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करनी चाहिए। श्री राधाकृष्ण के मंदिर में ध्वजा, पुष्पमाल्य, वस्त्र, पताका, तोरणादि नाना प्रकार के मंगल द्रव्यों से यथाविधि पूजा करनी चाहिए।
स्तुतिपूर्वक सुवासित गंध, पुष्प, धूपादि से सुगंधित करके उस मंदिर के बीच में पांच रंग के चूर्ण से मंडप बनाकर उसके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं।
उस कमल के मध्य में दिव्यासन पर श्री राधाकृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख स्थापित करके ध्यान, पाद्य-अघ्र्यादि से क्रमपूर्वक भलीभांति उपासना करके भक्तों के साथ
अपनी शक्ति के अनुसार पूजा की सामग्री लेकर भक्तिपूर्वक सदा संयतचित्त होकर उनकी पूजा करें।
श्रीराधा-माधव-युगल का ध्यान
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: हेमेन्दीवरकान्तिमंजुलतरं श्रीमज्जगन्मोहनं नित्याभिर्ललितादिभिः परिवृतं सन्नीलपीताम्बरम्।नानाभूषणभूषणांगमधुरं कैशोररूपं युगंगान्धर्वाजनमव्ययं सुललितं नित्यं शरण्यं भजे।।
जिनकी स्वर्ण और नील कमल के समान अति सुंदर कांति है, जो जगत को मोहित करने वाली श्री से संपन्न हैं, नित्य ललिता आदि सखियों से परिवृत्त हैं, सुंदर नील और पीत वस्त्र धारण किए हुए हैं
तथा जिनके नाना प्रकार के आभूषणों से आभूषित अंगों की कांति अति मधुर है, उन अव्यय, सुललित, युगलकिशोररूप श्री राधाकृष्ण के हम नित्य शरणापन्न हैं।’
इस प्रकार युगलमूर्ति का ध्यान करके शालग्राम में अथवा मूर्ति में पुनः सम्यक् रूप से अर्चना करें।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: भगवान को निवेदन किए गए गंध, पुष्प-माल्य तथा चंदन आदि से समागत कृष्ण भक्तों की आराधना करें। श्री राधाजी की भक्ति में दत्तचित्त होकर उनके लिए प्रस्तुत
नैवेद्य, गंध, पुष्प-माल्य तथा चंदन आदि के द्वारा दिन में महोत्सव करें। पूजा करके दिन के अंत में भक्तों के साथ आनंदपूर्वक चरणोदक लेकर महाप्रसाद ग्रहण करें। फिर श्री राधाकृष्ण का स्मरण करते हुए रात में जागरण करें।
चांदी और सोने की सुसंस्कृत मूर्ति रखकर उसकी पूजा करें। दूसरी कोई वार्ता न करते हुए नारी तथा बंधु-बांधवों के साथ पुराणादि से प्रयत्नपूर्वक इष्टदेवता श्री राधाकृष्ण के कथा-कीर्तन का श्रवण करें।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: जो मनुष्य भक्तिपूर्वक श्री राधाजन्माष्टमी का यह शुभानुष्ठान करता है, उसके विषय में सब देवतागण कहते हैं कि ‘यही मनुष्य भूतल में राधाभक्त है।’ इस अष्टमी को दिन रात एक-एक पहर पर विधिूपर्वक श्री राधामाधव की पूजा करें।
श्री राधाकृष्ण में अनुरक्त रसिकजनों के साथ आलाप करते हुए बारंबार श्री राधाकृष्ण को याद करें। इस प्रकार महोत्सव करके परम आनंदित होकर अंत में विधिपूर्वक साष्टांग प्रणाम करें।
जो पुरुष अथवा नारी राधाभक्तिपरायण होकर श्री राधाजन्म महोत्सव करता है, वह श्री राधाकृष्ण के सान्निध्य में श्रीवृंदावन में वास करता है। वह राधाभक्तिपरायण होकर व्रजवासी बनता है।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: श्री राधाजन्म– महोत्सव का गुण-कीर्तन करने से मनुष्य भव-बंधन से मुक्त हो जाता है। ‘राधा’ नाम की तथा राधा जन्माष्टमी-व्रत की महिमा जो मनुष्य राधा-राधा कहता है तथा स्मरण करता है, वह सब तीर्थों के संस्कार से युक्त होकर सब प्रकार की विद्याओं में कुषल बनता है।
जो राधा-राधा कहता है, राधा-राधा कहकर पूजा करता है, राधा-राधा में जिसकी निष्ठा है, वह महाभाग श्रीवृन्दावन में श्री राधा का सहचर होता है। इस विश्वब्रह्मांड में यह पृथ्वी धन्य है, पृथ्वी पर वृन्दावनपुरी धन्य है। वृन्दावन में सती श्री राधा जी धन्य हैं, जिनका ध्यान बड़े-बड़े मुनिवर करते हैं।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: जो ब्रह्मा आदि देवताओं की परमाराध्या हैं, जिनकी सेवा देवता करते रहते हैं, उन श्री राधिकाजी को जो भजता है, मैं उसको भजता हूं। हे महाभाग ! उनके उत्तम मंत्र का जप करो और रात-दिन राधा-राधा बोलते हुए नाम कीर्तन करो।
जो मनुष्य कृष्ण के साथ राधा का (राधेकृष्ण) नाम-कीर्तन करता है, उसके माहात्म्य का वर्णन मैं नहीं कर सकता और न उसका पार पा सकता हूं। राधा-नाम-स्मरण कदापि निष्फल नहीं जाता, यह सब तीर्थों का फल प्रदान करता है।
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: श्री राधाजी सर्वतीर्थमयी हैं तथा ऐश्वर्यमयी हैं। श्री राधा भक्त के घर से कभी लक्ष्मी विमुख नहीं होतीं। हे नारद ! उसके घर श्री राधाजी के साथ श्री कृष्ण वास करते हैं। श्री राधाकृष्ण जिनके इष्ट देवता हैं, उनके लिए यह श्रेष्ठ व्रत है।
उनके घर में श्रीहरि देह से, मन से कदापि पृथक् नहीं होते। यह सब सुनकर मुनिश्रेष्ठ नारदजी ने प्रणत होकर यथोक्त रीति से श्री राधाष्टमी में यजन-पूजन किया! जो मनुष्य इस लोक में राधाजन्माष्टमी -व्रत की यह कथा श्रवण करता है,
Radha Ashtami Ki Sampurn Katha in Hindi: वह सुखी, मानी, धनी और सर्वगुणसंपन्न हो जाता है। जो मनुष्य भक्तिपूर्वक श्री राधा का मंत्र जप अथवा नाम स्मरण करता है, वह धर्मार्थी हो तो धर्म प्राप्त करता है, अर्थार्थी हो तो धन पाता है,
कामार्थी पूर्णकामी हो जाता है और मोक्षार्थी को मोक्ष प्राप्त करता है। कृष्णभक्त वैष्णव सर्वदा अनन्यशरण होकर जब श्री राधा की भक्ति प्राप्त करता है तो सुखी, विवेकी और निष्काम हो जाता है।
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