Gayatri Jayanti kab hai: गायत्री जयंती – Gayatri Jayanti

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हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। हिन्दू शास्त्रों में माता गायत्री को वेदों की माता कहा गया है। 

मां गायत्री के 10 हाथ और 5 मुख हैं। जिनमें से 4 मुख वेदों के प्रतीक हैं और पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वही दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गायत्री देवी भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं और उनका मूल रूप श्री सावित्री देवी है।

देवी गायत्री कौन हैं?

ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में गायत्री मंत्र भगवान ब्रह्मा को प्रकट हुआ था। माता गायत्री की कृपा से ब्रह्मा जी ने अपने चार मुखों से चार वेदों के रूप में गायत्री मंत्र की व्याख्या की।

उन्हें सावित्री और वेदमाता (वेदों की माता) के रूप में भी जाना जाता है। गायत्री को अक्सर वेदों में सौर देवता सावित्री के साथ जोड़ा जाता है। स्कंद पुराण, सरस्वती या उनके रूप जैसे कई ग्रंथों के अनुसार गायत्री का दूसरा नाम है और भगवान ब्रह्मा की पत्नी है।

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संबंधित अन्य नामगायत्री जयंती
शुरुआत तिथिज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि
कारणमाता गायत्री
उत्सव विधिघर में प्रार्थना, भजन, कीर्तन
गायत्री जयंती – Gayatri Jayanti

गायत्री जयंती – Gayatri Jayanti in english

According to Hindu calendar, every year on Ekadashi tithi of Shukla Paksha of Jyestha month is celebrated as Gayatri Jayanti. In Hindu scriptures, mata Gayatri has been called the mata of the Vedas. Maa Gayatri has 10 hands and 5 faces.

Out of which 4 faces symbolize the Vedas and the fifth face represents the almighty power. The same ten hands are the symbol of Bhagwan Vishnu. According to mythology, Gayatri Devi is the consort of Bhagwan Brahma and her original form is Shri Savitri Devi.

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गायत्री मंत्र का क्या महत्व है?

गायत्री मंत्र के जाप से हम अपने क्रोध को शांत कर सकते हैं, गायत्री मंत्र के जाप से हम शरीर के कई रोगों से छुटकारा पा सकते हैं। मान्यता है कि इसके उच्चारण से रक्त का संचार ठीक प्रकार से होता है, इसके अलावा इसका जाप भी दमा के रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया गया है।

गायत्री जयंती पूजा विधि

❀ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें।
❀ अब मां गायत्री का ध्यान करते हुए लाल रंग का साफ कपड़ा चौकी में या पूजा घर में बिछा दें। अब मां गायत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
❀ अब माता गायत्री को जल, फूल, माला, सिंदूर, अक्षत अर्पित करें।
❀ फिर धूप-दीप जलाकर माता का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का जाप करें।
❀ अंत में माता गायत्री जी की आरती उतारें और गलती के लिए क्षमा मांगें।

गायत्री मंत्र

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‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।

आवृत्तिवार्षिक
समय1 दिन
शुरुआत तिथिज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि
महीनामई – जून
कारणमाता गायत्री
उत्सव विधिघर में प्रार्थना, भजन, कीर्तन
भजन अमृत गंगा

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Gayatri Jayanti kab hai

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